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कलाम
इ'श्क़ ने आग लगाई रे साधू इ'श्क़ ने आग लगाईदेत हूँ राम दोहाई रे साधू इ'श्क़ ने आग लागई
इम्दाद अ'ली उ'ल्वी
कलाम
तो-को बताऊँ कैसे सखी रे मुर्शिद की अनोखी बतियाँडाले डाका लूटे तन-मन घायल करे नैन से छतियाँ
अब्दुल हादी काविश
कलाम
गुरु दर्शन भगवान का दर्शन सिफ़त में ज़ात समाई रेगुरु बिन ज्ञान नहीं भई साधो गुरु ने बात बताई रे
मीराँ भीख
कलाम
पर्बत बाँस मँगवा मोरे बाबुल नीके मंडवा छिवाव रेडोलिया फँदाय पिया लै चली हैं अब संग नहिं कोई आव रे
अमीर ख़ुसरौ
कलाम
मज़हबाँ दे दरवाज़े उच्चे राह रब्बाना मोरी हूपंडत ते मुलवाणे कोलों छुप छुप लंघिये चोरी हू